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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कब आओंगे मोरे सावरियाँ

प्रीत की देखो, छलके गगरियाँ
पथ पर प्रीतम, मोरी नज़रियाँ
जीवन की देखो, बीती घड़ियाँ
कब आओंगे, मोरे सावरियाँ
प्रीत की देखो, छलके गगरियाँ
पथ पर प्रीतम, मोरी नज़रियाँ...

धुँधला धुँधला, साफ़ दिखे न
बातोंमें अब, बात छिपे न
चुपके से तेरा, श्रृंगार रचाया
कब आओंगे, मोरे सावरियाँ
प्रीत की देखो, छलके गगरियाँ
पथ पर प्रीतम, मोरी नज़रियाँ...

आजाओ अब, देर भई है
सांसो की डोर, सरक रही है
अंत धड़ी पीड़ा, बेहद बढ़ी है
कब आओंगे, मोरे सावरियाँ
प्रीत की देखो, छलके गगरियाँ
पथ पर प्रीतम, मोरी नज़रियाँ...

ऋण उतारे कैसे, ये तो बता दो
दास है छोटे, अंग लगा दो
प्रीतम प्यारे हम, तृष्णा के मारे
कब आओगें, मोरे सावरियाँ
प्रीत की देखो छलके गगरियाँ
पथ पर प्रीतम मोरी नज़रियाँ...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर लिखा 👏👏❤️❤️नास्तिक को भी आस्तिक बना दे ऐसी पंक्तियाँ हैं आपकी 👌👌

स्नेह धारा replied

मैम नमस्कार आभार 👏 आप सब की प्रेरणा से लिखने का हौसला बढ़ता है 😊

Lekhram Yadav said

आपके नाम के अनुरूप ही अति सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति स्नेह धारा जी, आपको सादर प्रणाम।

स्नेह धारा replied

👏मेरा हौशला बढ़ाने के लिए धन्यवाद Sir...प्रणाम 😊

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