काश ! मैं भी किसी श्याम की राधा होती।
और हमारी मोहब्बत में कोई न बाधा होती।।
खुद भी आखिरकार प्रफुल्लित रहता मन।
प्यारी ध्वनि तरंगे आती कोई न बाधा होती।।
वह मेरे दिल में रहता और मैं उसके मन में।
उन्मुक्त पलो में 'उपदेश' कोई न बाधा होती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद