कमरे की खामोशी में
एक पुरानी किताब धीरे-धीरे बंद हो रही थी—
जैसे किसी रिश्ते की आख़िरी साँसें
शब्दों में कैद होकर भी
अब तुम्हारी उँगलियों से फिसल रही हों।
तुमने चाहा था कि यह अध्याय
थोड़ा और जीवित रहे,
कि कुछ पन्ने यूँ ही महकते रहें
कॉफ़ी की भाप और उम्मीद की मीठी गर्मी में।
मगर ज़िंदगी, किसी कठोर संपादक की तरह,
कभी-कभी बिना पूछे
पूरी कहानी बदल देती है।
मेज़ पर रखी चश्मे की बाँहें
तुम्हें देख कर मानो फुसफुसाईं—
“कहानियाँ आगे बढ़ती हैं,
लोग नहीं रुकते…
रुकते हैं सिर्फ़ वो पल
जो तुमने पूरे मन से जिए थे।”
तुम्हारा दिल एक खुली किताब था—
पर तुम वर्षों से उसी पन्ने पर अटके हुए थे,
जहाँ ‘हम’ लिखा था,
जहाँ अंत का कोई संकेत नहीं था
लेकिन शुरुआत कहीं खो चुकी थी।
और फिर एक दिन,
भाग्य ने तुम्हारा हाथ पकड़कर
धीरे से पन्ना पलट दिया।
तुम रोए, टूटे,
पर पन्नों की सरसराहट में
एक अद्भुत सत्य छुपा था—
हर अंत, कहानी की बेइज़्ज़ती नहीं,
अगले अध्याय की अनिवार्यता होता है।
अब सामने एक नया सफ़ा है—
सफ़ेद, शांत,
तुम्हारी हिम्मत की स्याही का इंतज़ार करता हुआ।
तुम लिखोगी,
कभी कांपते हाथों से,
कभी मुस्कुराते मन से,
मगर लिखोगी ज़रूर—
क्योंकि दुर्भाग्य का सबसे सुंदर रूप यह है
कि वह इंसान को
अपने भीतर का लेखक बना देता है।
और एक दिन,
जब यह अध्याय भी पूरा होगा,
तुम पीछे मुड़कर देखोगी
और कहोगी—
“धन्यवाद उन पन्नों को,
जो बंद हुए—
क्योंकि उन्हीं ने
मुझे नया जीवन लिखने की ताक़त दी।”

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




