देकर जहर वो पूछता है, जिंदा थोड़ी है,
सबका वजूद है अपना, कारिंदा थोड़ी है।
उड़ने का हुनर दिया, ऊपर वाले ने हमें,
काट कर पर देखता,उड़ता परिंदा थोड़ी है।
नफरत फैलाने वाले करवाते दंगे-फसाद,
अपना सगा या यहाँ का बाशिंदा थोड़ी है।
छीनकर हक़ गरीबों का भरता अपना जेब,
मतलब परस्त है हमारा नुमाइंदा थोड़ी है।
🖊️सुभाष कुमार यादव