कुछ इस तरहा आजकल के हालात हैं हुए
समन्दर जैसे गंदी मछली के तालाब हैं हुए
मयस्सर नहीं आदमी को पल भर का सकून
घर और दफ्तर दोनों पँख जैसे सुर्खाब हैं हुए
रिश्ते नाते भी बदल जाते हैं मौसम की तरहा
अर्थ की दहलीज पे वारी हमारे ख्वाब हैं हुऐ
फूल गुलशन में खिले कौन सूंघता अब भला
बाजार में सस्ते बड़े जब नकली गुलाब हैं हुऐ
जिसको देखो दास वो कर रहा फरमान जारी
इस रियासत के जैसे सब आला नवाब हैं हुऐ II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




