यह रचना समस्त शिक्षकों को समर्पित। चूँकि मैं स्वयं भी शिक्षक हूँ और पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वहन करता हूँ। इसके पश्चात जब कोई मेरे कार्यशैली, अस्तित्व पर प्रश्न करता है कि शिक्षक का काम ही क्या है? आकर गप मारना और चले जाना। तब मन अप्रसन्न हो जाता है। इस रचना के माध्यम से उस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया हूँ-
नौसिखिए परिंदों को उड़ना सिखाता हूँ,
मुश्किल हालातों से, लड़ना सिखाता हूँ,
कहते हो न, शिक्षक करते ही क्या हैं?
सुनो, मैं जीवन को पढ़ना सिखाता हूँ।
रुके हुए कदमों को बढ़ना सिखाता हूँ,
जीवन के उतार से चढ़ना सिखाता हूँ,
कहते हो न, शिक्षक करते ही क्या हैं?
सुनो, मैं जीवन को गढ़ना सिखाता हूँ।
अवगुण में गुण को जड़ना सिखाता हूँ,
सत्य के लिए सदा अड़ना सिखाता हूँ,
कहते हो न, शिक्षक करते ही क्या हैं?
सुनो, मैं सपनों को पकड़ना सिखाता हूँ।
🖊️ सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




