छल बल से, फर्जी वाड़ा करके।
कुर्सी पर आसीन हुए।
सरकारी पद भी है, निजी कर्मी भी है।
दोनों हाथों से समेट रहा, भर- भर झोलों में।
बच्चों का खाकर पैसा, जा छुपा है महलों में।
बेनकाब करो, इन तीन दलालों को।
डंकी लाल डंक,अंकी लाल अंक, इंकीरानी इंक।
छीन कर बैठे हैं ऐ! विख्यात, तुम्हारी आजादी।
अब भी नहीं जागे, तो होती रहेगी एक-एक की बर्बादी।