शिकायत दूर करने होंठ सामने आ गए।
अब होंठो से होंठो का झगड़ा मिटाया जाए।।
बड़े नादान लगते चेहरे मोहब्बत में उनके।
तपन जिस्म की और न बढ़े मिटाया जाए।।
बाहों में भर लेने को कदम बढ़ाया उसने।
रोम रोम सिहरने लगा सिहरन मिटाया जाए।।
कुछ देर सीने से लगाकर दूर हो गए दोनों।
मन में बेकरारी 'उपदेश' संताप मिटाया जाए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद