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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पापा पर मुझे बहुत अभिमान है - मन की बातें - बस अचानक

कहानी सुनाना, वो सपने दिखाना,
कंधे पर अपने वो दुनिया घुमाना,
दिए से देर तलाक साथ बैठकर पढ़ाना,
हर छोटी सी चीज़ को अच्छे से समझाना,
जो सपने दिखाए वो पूरे कराये,
दुनिया में दुखी न रहूं यह सोचकर चलाये,
बचपन से था मैं कमजोर शरीर में,
उनको था आभास पहले ही ऐसा,
नहीं कर सकूंगा में काम भरी भरकम,
इसीलिए मुझको कंप्यूटर इंजीनियर बनाये,
ना जाने वो पल खो गए थे कहाँ पर,
बातें भी बस ऐसे ही हो रही थीं अब
घर में जो बहुये जो आगयी थीं,
शाम में बस १० मिनट बमुश्किल
हाल चाल पूछना बैठना
फिर काम पर लग जाना
हॉस्पिटल से जब जब लौटा हूँ
हर बार माँ याद आयी थी
क्युकी पिता जी साथ होते थे,
अबकी बार जब लौटा तो
पापा के गले से लिपट कर
बस रोगया और इतना ही कह पाया
पापा आपने कैसे किया इतना सब
मैं भी एक पिता हूँ मैं क्यों नहीं कर पारहा
बोलते हैं प्यार से बेटे अभी तो मैं हूँ
तू क्यों परेशां होता है
एक पचपन साल का पिता
अपने तीस साल के बेटे के लिए खड़ा है

"मेने देखा है ३० साल के बेटों को
पचपन पचास साल के माता पिताओं को
घर से निकालते हुए
मेरे दोस्त ऐसा मत करो
कर लिया है तो उनको वापस लाओ
उनके बिना तुम कुछ नहीं हो
शरीर किसी का सगा नहीं है "

पापा पर मुझे बहुत अभिमान है
मेरी जान हैं वो, मेरी पहचान हैं वो




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Lekhram Yadav said

नमस्कार सर, पापा ही वी शिल्पकार हैंडओवर अपने अथक प्रयासों से अपने बच्चों का भविष्य तराशते हैं, भले ही मां हर दर्द की साथी होती है, लेकिन पापा बच्चों के लिए अपने अरमानों, जरूरतों, और सपनों को साकार करने में अपनी ख्वाहिशों की परवाह किए बिना निरन्तर प्रयास करता रहता है। दुनियां के हर पापा को मेरा सैल्यूट है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Dhanyawaad abhaar yadav sir ji🙏🙏

रमेश चंद्र said

Bilkul pita bo dua h aap pr jise bhagwan ne kubul kr lia. To unka aadar samman jarur kre sab bad m h phle mata pita h.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Dhanyawaad abhaar mahoday pranam sweekar karein 🙏🙏 aapse purntaya sahmat hu

Vadigi.aruna said

Very nice explanation Ashok ji

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much mam..

कमलकांत घिरी said

आपने एक पिता की बहुत अच्छी छवि प्रस्तुत की है आर्द्र सर, एक पिता वास्तव में औलाद का अभिमान और पहचान होता है , बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👏।।प्रणाम स्वीकार करें 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Bahut bahut abhaar kaant sir ji aapki pratikriya maayne rakhti hai jab baat dil se nikle waha aisi pratikriya ka aana sach m maayne rakhta hai pranam sweekar karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut sundar likha apne papa ke liye, papa hote hi aise he chahe unka kuch bhi haal ho par apne baccho ke liye hamesha khade rahte hai, ye main bahut achi tarah se samjhti hu, mere papa 66 age ke hai or bachpan se hi unke dono pairo mein 5-6 gokharu hai , ye rog unhein bada dard deta hai fir bhi aaj 66 ki age mein bhi wo har paristhiti mein mere sath khad rahte hai, kabhi bhari barish mein, kabhi kadakti thand mein to kabhi chichilati dhoop mein...

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Bahut bahut abhaar sahit namskar evam pranam aapko bhi evam aapke pitaji ko bhi..sach kaha mam pita har paristhiti m santaan ke sath kisi bhi umra m khada hota hai wahi santaan ka ravaiya iske vipreet hota hai..

Vijay Kumar Pandey pyasa said

बहुत ही सुन्दर 🌹

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Abhaar Sadar Pranam!!

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