बलिदान की गाथा
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
मिट्टी का कण-कण, आज भी गाता है,
उन वीरों की गाथा, जो अमर हो जाता है।
अपने लहू से सींचा, आज़ादी का पौधा,
बलिदान की ज्वाला में, सब कुछ खोता है।
सरफरोशी की तमन्ना, दिल में लिए वो,
इंकलाब के नारे, हर तरफ़ गूँजे वो।
अंग्रेजों के शासन को, जड़ से हिला दिया,
अपने प्राणों की आहुति, देकर दिखा दिया।
आज भी उनकी कुर्बानी, याद आती है,
देशभक्ति का जज़्बा, दिल में जगाती है।
शहीद दिवस पर, उन्हें शत-शत नमन,
उनके बलिदान से, आज़ाद हुआ ये वतन।