एक कलम की खूबसूरती
कलम ऐसा लिखे,
कि रोमांच बन जाए,
कविता, गज़ल और गीत
बाग,उपवन, वाटिका बन जाएँ ।
भाव-विभोर करते शब्द
पक्षियों का विहार बन जाएँ,
दिल पर छाप छोड़ें ऐसे
कि नेत्रों से जल धारा बह जाए ।
वही जल धारा मन को निर्मल कर
एक सुन्दर सरोवर बन जाए,
जिसमें डुबकी लगाने से
जीवन के जंजालों के दुर्गम पहाड़ पार हो जाएँ।
कलम ऐसी न हो
जो नदियों सी बिना दिशा की लहर बनकर दौड़े,
मान,मोह,मद के वनों से होकर गुज़रे
और जीवन के फलसफ़ों को और भी उलझा दे ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है