छाेटी छाेटी बच्ची हाे
कितनी प्यारी अच्छी हाे
दु:खी: क्याें हाे रही?
मगर क्याें राे रही ?
बिल्ली ताे नहीं आई ?
आखें ताे नहीं देखाई ?
काेई ताे नहीं चिल्लाया ?
तुमें ताे नहीं डराया ?
लगा बहुत अट-पटा
चिंटी ने ताे नहीं काटा ?
वैसे उन से बैर नहीं
मगर उनका खैर नहीं
उन्हें नहीं छोड़ेंगे
सजा उनको देंगे
अब तो मान जाओ
आंसू न बहाओ
मीठी बातें कहो जरा
हंस कर रहो जरा
हंस कर रहो जरा.......
----नेत्र प्रसाद गौतम