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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं तो हूँ मेनुअल आदमी - खूबसूरत सवाल - वेदव्यास मिश्र

मैं तो हूँ मेनुअल आदमी,
डिजीटल-विजीटल समझूँ ना !!
चाहत-वाहत को जानूँ मगर,
इससे जियादा कुछ समझूँ ना !!

हम तो हैं नज़रों के सिकंदर,
इससे जियादा समझ ही न आये !!
समझे है दुनिया हमको कलंदर,
अच्छा ही है सर कौन खपाये !!
भूख लगे तो खाना खाओ,
प्यास लगे तो मटका है ना !!

आज के ज़माने में लगभग,
सब कुछ डिजीटल हो गया है !!
रूपया डिजीटल..नमस्ते डिजीटल,
विशेज का अम्बार लगा है !!
पर ज़रूरत कुछ इनसे पड़े तो,
ठेंगा दिखाते हैं पल में क्यूँ हाँ ??

इक खूबसूरत सवाल वेदव्यास मिश्र की कलम से...


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

Bahut Khub..likha Vedji...🙏🏻🙏🏻

वेदव्यास मिश्र said

Updesh Kumar Shakyawar जी, सधन्यवाद आभार नमन सर जी !! बहुत ही अच्छी लगी आपकी प्यार भरी प्रतिक्रिया🙏💝💝🙏

कमलकांत घिरी said

बहुत बढ़िया लिखे सर जी इसी बात पर हमारी तरफ से भी डिजिटली प्रणाम स्वीकार करें🙏😄

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, बिलकुल बिलकुल...क्यों नहीं..सच तो यही है कि हम सभी डिजीटल सूत्र से बँधे हुए हैं !! आपका नमस्कार स्वीकार..अब हमारा भी नमस्कार और आभार स्वीकार करें हृदयप्रिय मित्र !! 💝💝

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