अष्ट भुजाधारी विचित्र बनावट,
रूप रंग से लागे काल भैरव,
धरती का कोना कोना करे हाहाकार,
जब फैलता रहे इस मकड़ी का जाल।
जाल इसका मनोरूपी, अनोखा जिसका हाल
करता रहे यही पुकार,
मेरे घर में है एक मकड़ी का जाल;
लिपटा रहे इस श्वेत वर्ण, ना दिखे इसके अंदर
ना दिखे इसके बाहर,
पर बंद दरवाजों के पीछे है एक मकड़ी का जाल
इसकी कला पर फिदा दुनिया सारी,
बिन पानी बिन साधन बिना
रोज बनाए एक नया जाल,
हाय यह है हर घर की कहानी,
बनाए यह अष्टभुजाधारी एक मकड़ी का जाल |
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




