हाईकू
(१) सर्वस्व
सत्ता उसकी
चैतन्य सृष्टि सारी
वह सर्वस्व!
(२) ईश्वर
मैं तुझमें हूँ
देख ज्ञानचक्षु से
मुझमें है तू!
(३) देह
यह शरीर
अमोल धरोहर
पंचतत्वों का!
(४) स्वप्न
सोया संसार
मन अवचेतन
जागते रहो!
(५) बचपन
भानु भोर का,
वय खिलखिलाता,
है बालपन!
(६) जवानी
फूटती कली
खिलता कचनार
यह यौवन!
(७) बुढ़ापा
गोधूलि बेला
बुझता सांध्य दीप
ढलती उम्र!
(८) महँगाई
बढ़ती जाए
राक्षसी सुरसा सी
ये महँगाई!
(९) प्रेम
रिश्ता अनूठा
धरती-आसमान
शाश्वत प्रेम!
(१०) बराबरी
बेटी या बेटा
समान जब दोनों
पार्थक्य कैसा!
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प्रमोद कुमार,
गढ़वा (झारखण्ड)