छलका के एक कतरा, प्याले से जाम का,
लिख रहा हूँ मैं एक खत, तुम्हारे नाम का।
पी कर एक प्याला लिख रहा हूँ ये उक्ति,
शब्द, अर्थ, भाव से सजाया है हरेक पंक्ति,
पढ़ लेना चुरा कर थोड़ा समय विश्राम का,
लिख रहा हूँ मैं एक खत, तुम्हारे नाम का।
देखे हैं ऐसे भी लोग पी कर होते मदहोश,
मैं जब पीता हूँ, तब आता है मुझे होश,
टकरा रहा हूँ प्याला…. जाम से जाम का,
लिख रहा हूँ मैं एक खत, तुम्हारे नाम का।
दोनों नयन हैं प्याले, दिल के भाव मदिरा,
राम प्रेम की धुन में मस्त थे जैसे कबीरा,
प्रेम रस का कर पान, मजा लो कलाम का,
लिख रहा हूँ मैं एक खत, तुम्हारे नाम का।
🖊️सुभाष कुमार यादव