कापीराइट गजल
क्या हुआ जो हम उनसे जुदा हो गए
ये, मसले सब हमारे, तयशुदा हो गए
अच्छा हुआ जो अपनी राहें जुदा हुई
जो अपने थे हमारे वो ना खुदा हो गए
क्या, हिसाब करें हम, अपने गम का
आज गम भी हमारे ये तयशुदा हो गए
ये, मसले कभी दिल के, कम नहीं होते
जब एतबार ही न रहा तो जुदा हो गए
ये खालीपन ये तन्हाई तो साथी हैं मेरे
इन से, मिल कर खुशी से, जुदा हो गए
कौन कहता है ये अब वक्त रूकता नहीं
रूकता है संग उन के, जो जुदा हो गए
ऐसे, मौसम में तुमसे, क्या कहे ये यादव
ये, बहारों के मौसम भी, खिजां हो गए
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




