उस दिन मैं आसमां में उड़ने लगूंगी,
जिस दिन आप मेरे पहले ख़त का जवाब देंगे।
उस दिन मैं खुद को इस जहां की सबसे बड़ी
फ़नकार समझूंगी,
जिस दिन आप मुझे मेरे हुनर का ईनाम देंगे।
उस दिन मैं नज़्में फ़क़त आपके इस्तिक़बाल में
लिखूंगी,
जिस दिन आप मुझसे मिलने आएंगे।
उस दिन मैं खुद को बड़ा ही ज़हनसीब समझूंगी,
जिस दिन आप मुझे तोहफ़े में अपनी किताब
और पसंदीदा कलम देंगे।
उस दिन मुझे इस जहां की सारी खुशियां मिल जायेगी,
जिस दिन आप मुझे अपना बनाने का ऐलान करेंगे,
उस दिन मैं नग़्में अपनी कामयाबी के गुनगुनाऊंगी
जिस दिन आप मुझे अपना शागिर्द बनाएंगे।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️