गर्मियों में पौधों को पानी देते देते ख़ुद भी भीग जाना और दूसरों को भी भिगो देना
बाल्टी भर कर आम भिगो देना और सबने मिलकर एक साथ खाना
दोपहर की भीषण गर्मी में कूलर चला कर तरबूज़ खाना
खाने के साथ कच्ची लस्सी , छाछ ज़रूर पीना
घर में करेले बनने पर मुँह बनाना
वहीं फालूदा आइसक्रीम को देख चेहरे पर ख़ुशी आना
कैरम ,लूडो,पिट्ठूग्राम,पतंग उड़ाना
क्या खूब मज़ा था इन सबमें
ऐसा बचपन कहीं खो गया
और साथ ही खो गया छोटी छोटी बातों में ख़ुशी ढूँढ लेना
आज बड़ी बड़ी खुशियों को पाने में ऐसा लगे कि
अपने आप को ख़ुश रखने का तरीका ही भूल गए ,ख़ुश रहना ही भूल गए ..
वन्दना सूद