शब्द की गूँज
कोई शब्द ऐसा नहीं है,
जो मुख से निकले और आकाश में उसकी गूँज न बने ।
हर शब्द आकाश से ही जन्म लेता है
और अंततः उसी में समा जाता है।
वही शब्द,आकाश की दीवारों से टकराकर
किसी दिन हम तक लौट आता है।
इसलिए,जो शब्द अपने लिए हमें पसंद नहीं ,
उसे दूसरे के लिए कहने से पहले
अपने आप से अवश्य पूछ लेना चाहिए।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है