मन से हारा नही मैं तनिक आज तक
जुगनुओं की तरह टिमटिमाता रहा,
फर्क़ पड़ता नही कितने गम है सहे-2,
आंख भर कर भी मुस्कराता रहा,
मन ---
जब ज़माने के संग संग फंसाने बढ़े
,देश दुनिया के जब जब ताने बढ़े,
मैं महकता रहा अपनी मुस्कान से,
हमने सीखा है चलना अदब चाल से,
मन ---
दर्द मुस्कान का है रिश्ता बड़ा,
कोई हसता है अपनी हसी बेचकर,
कोई रोता है अपना धर्म छोडकर ,
जिंदगी के सभी कुछ चलन छोड़कर,
मन -----
सर्वाधिकार अधीन है