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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

तकनीकी एवं सामाजिक परिवर्तन - तेजप्रकाश पांडे

आज मैं और भैया (आचार्य रवि कृष्ण प्रयागराज ) बाते कर रहे थे की आज कल मोबाइल ने दूरी खत्म कर दी है दूर होते हुए भी हम सब पास ही हैं तो मेरे मन में उठता एक सवाल शब्दो का रूप ले लिया .

आओ हम चलते हैं और तकनीकी के साथ बदलते रिश्ते को गौरतलब करते हैं ..एक समय था जब पत्र प्रचार में रहे तब जब कोई अपने गांव देश से दूर रहता था कोई खबर ना होती थी तब एक विश्वास से रिश्ता चलता था .. ऐसे समय को एक कवि के तौर पर मैं परकाया प्रवेश गुणधर्म का प्रयोग कर चित्रांकन करु तो पत्रव्यवहार के जमाने में कुछ ऐसी बाते होती रही होगी .....

यत्र कुशलम् तत्र शुभेक्षु....

प्रीतम तुम क्यू दूर गए सपनों को मेरे मार गए
बहती पुरवैय्या खाये रे यौवन को मेरे सिहराये रे
सजना क्यू ना तुम आये ना हि कोई ख़त आये
देखो आया फागुन है देवर गुलाल लगाये रे
पर तू क्यों ना आये रे मुझको क्यू तड़पाए रे
अम्मा की आँखे मुझसे पूछे बाबू जी भी पत्र पढ़े
क्या कहूँ उन्हें बता दे जरा बस सपना तेरा आये रे
मेरे सबर को क्यूँ अजमाये रे क्यू ख़त भी तेरा ना आये रे


.......इसके बाद एक दिन मैं अपने दादा जी के पास बैठा था तो उन्हें बताया गया था हमारे समय में टेलीग्राम तार चलता था पर बेटा वो जब जिसके यहा आता था तो लोग रोते हुए लिया करते थे क्योंकि मन में यही होता था कोई दुर्घटना घट गई तभी इसको प्रयोग में लाया गया फिर अपने टेलिफोन का दौर तो देखा ही होगा जिसके घर में लग जाता था ओ रईस माना जाता था पर पर उसमे कॉल आये तो घर के बड़े बुजुर्ग ही करते थे हम तो अभी भी गुड़ियों के खेल में मगन होते थे और घर में सब एक सूत्र में बधे थे

अब ओ जमाना आया जब कार्डलेस आया पर साएद आपने उसे किया हो वह भी टेलीफ़ोन से कनेक्ट होता था और 2 किमी के आस-पास ही रहना होता था अभी भी रिश्ते घर के चारों ओर घूम रहे थे
.... एक बार आया जब फोन ने एंट्री किआ पर ओ इतना महंगा हो गया था कि रिस्तो को तोड़ ना सका ......

अब मोबाइल ने घर बनाया और धीरे-धीरे हम सबके हाथो में आ गया और इसकी कोई सीमा ना थी . अब क्या हिं. छुपा है आपसे घर में माँ भाई बहन पत्नी बगल में बैठी हो पर उनसे बात करने को समय नहीं होता अपने दूर बैठे किसी सोशल मीडिया फ्रेंड से हम hii hello कर रहे हैं उससे भी कोई दिल का जुड़ाव नहीं है सोशल मीडिया पर पोस्ट करने में लाइक कमेंट ना आने पर डिप्रेसन के शिकार हो जाते हैं आख़िर कर क्या रहे हैं

मित्रो इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने घर वालो को वक्त दीजिए क्योंकि ये रिश्ते बहुत अच्छे हैं आपको ताजगी का अहसास होगा ...🙏🙏🙏प्रणाम




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

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वेदव्यास मिश्र said

सही कहा आपने ..👌👌 वाकई दुनिया हर पल बदल रही है !! ऐसा लगता है..बहुत कुछ बदलाव होगा आगे भी !! AI बहुत ही क्रियेटिव है लेकिन इसके संभावित खतरे भी बहुत हैं !! शानदार पोस्ट 💝💝

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