1,
कुछ नमी अपने साथ लाता है ।
जब भी तेरा ख़याल आता है।।
देख कर ही सुकून मिलता है ।
तेरा चेहरा नज़र को भाता है ।।
कुछ भी रहता नहीं है यादों में ।
वक़्त लम्हों में बीत जाता है ।।
रास्तों पर सभी तो चलते हैं ।
कौन मंज़िल को अपनी पाता है ।।
मैं भी हो जाती हूँ ग़ज़ल जैसी ।
वो ग़ज़ल जब कभी सुनाता है ।।
2,
इश्क़ मुझको कहां पर लाया है ।
हर जगह तुझको मैंने पाया है ।।
जानते हैं , यह हो नहीं सकता ।
भूल जाने की ज़िद तो ज़ाया है ।।
खुद पर करके गुरूर क्या करते ।
खत्म हो जानी यह तो काया है ।।
बात दुनिया की कर नहीं सकते ।
धोखा खुद से भी हमने खाया है ।।
इश्क़ मुझको कहां पर लाया है ।
हर जगह तुझको मैंने पाया है ।।
3,
ह्रदय की वेदना को
मन की संवेदना को
जो व्यक्त कर सके
जो विभक्त कर सके
पीड़ा की मूकता को
रिश्तों की चूकता को
वो शब्द ढूंढने हैं
वो निःशब्द ढूंढने हैं
समझा सकूं स्वयं को
वो विकल्प ढूंढने हैं।
4,
मैं न रहूँ
तुम लफ़्ज़ों में
ढूंढ़ना मुझको
समझना मेरे
हर एहसास को
फिर सोचना मुझको
नमी बन के जो
आंखों में तेरी आ जाऊं
वो एक लम्हा
जब तेरे दिल से
मैं गुज़र जाऊं
तुम्हारे ज़ेहन में
यादों सी मैं बिख़र जाऊं
तलाशे तेरी नज़र मुझको
और मैं नज़र नहीं आऊं
फिर सोचना मुझको
फिर सोचना खुद को !
5,
एहसास है मुझे
है कोई मेरा अपना
आयें चाँदनी जब रातें
मेरे साथ तुम भी जगना
कभी हो सफ़र में तन्हा
मुझे याद कर भी लेना
कभी साथ जो छूटे
मुझे मुड़ के देख लेना
कभी हो तुम्हें जो फुर्सत
मुझे पढ़ के देख लेना
मैं समझ में आऊं तेरे
मुझे लिख के देख लेना
मेरी ज़िन्दगी तुम्हीं से
मुझे कह के देख लेना
6,
किसी भी ग़म की
न कभी तेरे हिस्से में
कोई शाम आये
मुस्कुराता हुआ
तेरे हिस्से में ,
तेरा हर एक पल आये
तमाम ख़ुशियाँ जहाँ की
तेरा मुकद्दर हों
मेरे लबों की दुआ का
बस तू ही मरकज़ हो ।
7,
अपना दिल खुद ही
हम दुखा बैठे ।
उससे उम्मीद
एक लगा बैठे ।।
याद करते हैं
हर लम्हा उसको ।
कैसे कह दें
उसे भुला बैठे ।।
जो न समझेगा
मेरे जज़्बों को ।
हाल-ए-दिल
उसको ही सुना बैठे ।।
दूर जब से हुए
हैं हम उससे ।
फ़ासला खुद से
भी बड़ा बैठे ।।
अपना दिल खुद ही
दुखा۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔बैठे
8,
पैदा हालात कर ही लेते हैं ।
आंखों में रात कर ही लेते हैं।।
लेकर लफ़्ज़ों के ताने-बाने को।
ज़ाहिर जज़्बात कर ही लेते हैं।।
न-न करके भी न जाने क्यों ।
आपसे बात कर ही लेते हैं ।।
गर समझना हमें ज़रूरी है ।
एक मुलाकात कर ही लेते हैं ।
पैदा हालात कर ही लेते हैं ।
आंखों में रात कर ही लेते हैं ।।
9,
जीवन का इतना
सम्मान करना ।
कभी न स्वयं पर
अभिमान करना ।।
कर्तव्य तेरा हो
उद्देश्य -ए – जीवन ।
देश पर प्राणों का
बलिदान करना ।
नहीं दान कोई
इससे बड़ा है।
हृदय के तल से
क्षमादान करना ।
पुन्य का केवल
साक्षी हो ईश्वर।
कभी न दिखावे
का तुम दान करना ।।
10,
दिल का भी इत्मीनान रक्खेंगे।
फ़ासला, दरमियान रक्खेंगे। ।
आपकी सोच मुख़्तलिफ़ हमसे ।
हम भी इसका ध्यान रक्खेंगे।।
वार तुम पर तो कर नहीं सकते।
ख़ाली अपनी म्यान रक्खेंगे।।
दोस्तों की कमी नहीं होगी।
जितनी मीठी जुबान रक्खेंगे।।
करके ख़ामोशियों में गुम ख़ुद को ।
दिल का हम इम्तिहान रक्खेंगे ।।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद