अब न आँसू बहते न दिल टूटता।
काश! साथ रहते साथ न छूटता।।
एक शख्स का दर्द ग़ज़ल बन गया।
शब्दों की फुहार से पंक्ति न टूटता।।
खून में घुल जाता जब प्रेम अटूट।
ऐसा नशा चढ़ता सपना न टूटता।।
याद के संदूक से निकला 'उपदेश'।
सिर चढकर बोलता आस न टूटता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद