शब्द
शब्द तो बस शब्द हैं ,
अर्थ बिना ये व्यर्थ हैं |
सरस्वती का वरदान हैं ,
चुभते तीर समान हैं |
शब्द ही तो हैं रिश्ते बनाते ,
इनसे सब बंधन कट जाते |
चाहे तो किसी को भी जीत लें ,
और चाहे तो हृदय को चीर दें |
जादू का हैं शब्द पिटारा ,
कर देते मन्त्रमुग्घ नजारा |
शब्द ही दीपक, शब्द ही छाया ,
शब्दों ने ही हर दिल को रिझाया |
शिल्पी चड्ढा