शब्द-शब्द चुनकर लाया हूँ,
तान नया बुनकर लाया हूँ।
आज अपने प्रियवर से दूर,
उसके विरह व्यथा से चूर,
अंतर्मन वेदना से पुर-पुर,
उस विरहिणी की पीड़ा का,
राग नया सुनकर आया हूँ।
शब्द-शब्द चुनकर लाया हूँ,
तान नया बुनकर लाया हूँ।
निहारती रास्ता शाम-सवेरा,
जाने कहाँ है उसका बसेरा,
रह-रह सताता ध्यान तेरा,
उस विरहिणी की पीड़ा का,
हाल नया सुनकर आया हूँ।
शब्द-शब्द चुनकर लाया हूँ,
तान नया बुनकर लाया हूँ।
🖊️सुभाष कुमार यादव