सत्य का सागर,
धर्म का पर्वत।
राजा हरिश्चंद्र,
नाम अमर अतुल।
राजपाट त्यागा,
सत्य के लिए।
धर्म का पालन किया,
पूरे मन से।
रानी तारामती,
पुत्र रोहित प्यारा।
सब कुछ त्याग दिया,
सत्य के प्यारे नारा।
विश्वामित्र की परीक्षा,
कठिन थी बहुत।
फिर भी डटे रहे,
न झुके कदम।