सत्य के पथ बढ़ो रे
सुनी ये राहें सच के सिवा रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
कड़वा होगा लेकिन सच तो सच है रे
बर्बादी का मार्ग ख़ुद क्यों बने रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
अनुकंपित आसमान तले रे
कांपे धरा तो छिन्नभिन्न होता जहाँ रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
सृष्टि भयभीत जीवन तबाह रे
झाँकी सत्य की कुछ ऐसी रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
छिपाना पड़े तो समझो रे
रिश्तोंमें दरारे हजारो पड़े रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
हो सके तो सच के पथ बढ़ो रे
वर्ना जीवन तबाही कि खाई रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!
सुनी ये राहें सच के सिवा रे
इशारा मिले तो आगे बढ़ो रे !!