समंदर में तुफां हैं, तो कश्तियां भी है साहिल..
बियाबां के आगे, कुछ बस्तियां भी है साहिल..।
यूं कदमों के निशाँ से, ना मंज़िल तलाश कर..
रास्ते मिटाने को आमादा, आंधियां भी है साहिल..।
लहरें अपनी हदों से, हर बार गुज़र जाती है अब तो..
लगता है पास उनके नाखुदा की, निशानियां भी है साहिल..।
वो तुम्हे देखकर हर दफ़ा मुस्कुराता तो है मगर..
उसके दामन में छुपी, कुछ परेशानियां भी है साहिल..।
मैं हर बार ज़माने पर, भरोसा करता ही गया..
मेरे पास इस तरह की बेशुमार नादानियां है साहिल..।
पवन कुमार "क्षितिज"