धर्मस्थल हैं सुसज्जित सारे जहां में ,
अपनी -२ आस्था अपने -२ हैं नाम ,
मंदिर - मस्जिद - गुरुद्वारा - चर्च पूज्य
"ईश्वर" रहते हैं सादर विराजमान !
दो जून की रोटी भी बेशक नसीब न हो ,
ईश्वर खुदा गुरु यशु को देते हैं अधिमान ,
अधिकृत धन एकत्रीकरण के हैं ये केंद्र ,
अरबों खरबों संपत्ति,खूब चढ़ावा दान !!
अकूत धन दौलत , खजाने हैं तालाबंद,
भूखे प्यासों की कमी नहीं , लाचार है इंसान,
कब्जा होता धर्मस्थलों का , चेलों के पास !!!
इंसानी-प्रासंगिकता होती है धूलधूसरित ,
धर्मस्थलों को करते है "चेले" ही बदनाम ,
धर्मकर्म रीतिरिबाज के ऐहिक चक्रव्यूह में ,
आज इंसान का बैरी बन रहा है इंसान !!!
सर्वधर्म शिक्षाएं पिरोए हैं शिष्ट मालाएं ,
मानसिक शांति पूरे होते हैं अरमान ,
मान्यताएं पद्धतियां प्रतीक बेशक विभिन्न ,
सार सांझा सबका,एक ही है भगवान !!!!
✒️ राजेश कुमार कौशल