हैं ग्लेशियर पिघल रहे..सवाल तो है ?
रिश्ते मगर क्यूँ जम रहे.. सवाल तो है ?
जमीन भी वही और.. आसमाँ वही,
फिर इस तरह की ज़ुर्रत..सवाल तो है ?
कोई बके जो कुछ भी ..बकने ही दो उसे,
मुँह उसका है उसी को ..मुबारक हो यार !
दुनिया बहुत बड़ी है..कितनों की हम सुनें,
आखिर हम क्यूँ उलझें..बवाल ही तो है !!
मानुष का बस चले तो ना जाने क्या बदल दे,
ईमान को बदल दे.. इनसान को बदल दे !!
सुनने में आ रहा है ..रोबोट सब करेगा !
वो क्या-क्या करेगा..इक सवाल तो है ?
भस्मासुर बन रहा है..खुद को ही डस रहा है,
सागर में समाने का.हर उपाय कर रहा है ।
खुद ना रहेगा चैन से..ना रहने देगा सबको,
अभी तो ग्लेशियर है.आगे है देखिये क्या?
क्या इन्सान बनना मुश्किल..सवाल तो है ??
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है