मजदूर मै कहलाता हूँ
राहों पर चलता जाता हूँ
पत्थर तोड़ कर सड़क
मै बनाता हूँ
हड्डियाँ घिसता जाता हूँ
मजदूर मै कहलाता हूँ
धूप बरसा कुछ ना देखा
मौसम से अनजाना हूँ
लू के थपेड़े सहता जाता हूँ
मजदूर मै कहलाता हूँ
थोड़ा सा तन ढ़कता हूँ
मन मै आशा रखता हूँ
भूख सह मै जाता हूँ
ईमान नही बेच आता हूँ
मजदूर मै कहलाता हूँ
हर कोई मंजिल तक पहुँचे
राहें ऐसी बनाता हूँ
मेरी मंजिल है क्या
उसे खोज नही पाता हूँ
मजदूर मै कहलाता हूँ
मौलिक रचना
✍🏻#अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




