जियो अपनी ज़िंदगी अपनी सोच, अपनी पहचान
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इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि यह ज़िन्दगी आपकी है और इसलिए आपका पूर्ण अधिकार है कि आप इसे अपने ढंग, अपने निर्णयों, और अपने सपनों के अनुसार जिएँ।
● स्वयं की दृष्टि से स्वयं को देखें
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कभी भी स्वयं को दूसरों की नज़र से देखने की कोशिश मत कीजिए। लोग क्या सोचते हैं, यह उनकी मानसिकता है - न कि आपकी वास्तविकता। आप ही स्वयं को सबसे बेहतर समझते हैं, और यही समझ आपकी सबसे बड़ी ताक़त है।
● अपनी सोच को सर्वोपरि रखें
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अपनी सोच को इतना मजबूत बनाएँ कि वह बाहरी विचारों के शोर में भी स्पष्ट सुनाई दे। "ना" कहने का साहस और "हाँ" कहने की समझदारी जीवन के फैसलों में संतुलन लाती है।
● अपनी पहचान को तराशें
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हर इंसान विशेषताओं का खज़ाना है, ज़रूरत है तो उन्हें पहचानने और निखारने की। जब आप खुद को जान जाते हैं, तब दुनिया भी आपको जानने लगती है। वरना... कुछ ज़िंदगियाँ बस समय की रेत में खो जाती हैं - अनकही, अनसुनी।
● वक़्त की क़द्र और आज में जीना
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हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम एक सार्थक जीवन जिएँ ऐसा जीवन जिसकी गूँज हमारे बाद भी सुनी जाए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम आज के क्षणों को पूरी तरह जिएँ और अपनी क्षमताओं को समय रहते पहचानें।
● जीवन जीने का सच्चा मंत्र
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अपने अस्तित्व को प्रेम से स्वीकारें। अति-अपेक्षाएँ छोड़ें, और स्पष्ट सोच के साथ समस्याओं को सुलझाएँ। याद रखिए - "जब तक आप हैं, तब तक यह ज़िन्दगी है। आप नहीं, तो इसकी कोई परिभाषा नहीं।"
तो जिएँ... पूरे आत्मविश्वास, प्रेम और अपने अनोखे अंदाज़ में। यही आपकी असली पहचान है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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