उनकी नजर टिकी मुझ पर
मेरी नजर भी रही उन पर
समाज भी कोई कम नही
नजर तिरछी रहीं सब पर
कोई न रोक पाएगा हम को
नसीब की नजर रही हम पर
मजा आता मुलाकात करके
वो भी आ जाती मेरे घर पर
सिलसिला चलता रहा आगे
साल कट गया बाहों में इधर
परम सुख चेहरा बता देता
बेताबी दिखी 'उपदेश' घर घर
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद