खुशी नाम की नहीं
काम की होनी चाहिए।
रोटी हराम की नहीं
मेहनतान की होनी चाहिए।
नींद आराम की
बैचेन की नहीं।
जिंदगी सुख चैन की
पैसों की नहीं।
है प्यार जहां
हो न तकरार वहां
वहीं जिंदगी बसती है।
मर गए
मिट गए
मारने
मिटाने वाले
किसी की क्या
हस्ती है।
चल रहीं देखो
यहां यारों
प्रेम पे कस्ती है।
नफरती शियाशतदानों
के सामने भेड़ बकरियां की
बस्ती है।
बड़ा बड़ा रहने में नहीं
छोटों संग छोटा बनने में है।
किनारों में कुछ भी नहीं रक्खा यारों
असल मज़ा जिंदगी की गहराईयों में है।
इसलिए रक्खा क्या इन तोहमातों में है
जब सारा मज़ा मोहब्बतों में है....
यारों सारा मज़ा मोहब्बतों में है...