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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हमारा गांव है जहां

हमारा गांव है जहां,
अनगिनत पेड़ों की छांव है वहां।
पानी लाते सिर पर घड़ा रख
मिलों दूर से,
क्योंकि पानी का बहुत ही अभाव है यहां।

हमारा गांव है जहां,
अनगिनत पशु - पक्षियों का ठहराव है वहां।
हम उन्हें पानी पिलाते, खाना खिलाते,
क्योंकि कहीं चले ना जाए ये हमे छोड़
मिले इन्हें ये सब जहां।

हमारा गांव है जहां,
ना है मोटरगाड़ी वहां।
है वहां तो बस घोड़ा गाड़ी, बैल गाड़ी,
जो ले जाए हमे जाना हो जहां।

✍️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना गांव का बहुत सजीव चित्रण किया है आपने, आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद 🙏

श्रेयसी said

Bahut sundar 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका

वन्दना सूद said

Very very nice 👏👏👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks di

कमलकांत घिरी said

वाह बहुत ही सुंदर गांव है आपकी दीदी जी कभी बुलाइए हमें अपना गांव देखने🤭👌🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

तो आ जाइए बुला लिया हमने आपको अपना गांव देखने के लिए.... वैसे इसमें सब कुछ काल्पनिक है सिवाय इन पंक्तियों के👉"हमारा गांव है जहां अनगिनत पेड़ों की छांव है वहां, हमारा गांव है जहां, अनगिनत पशु - पक्षियों का ठहराव है वहां। इसके अलावा पानी की कमी हमारे यहां आज से 15 साल पहले तक बहुत थी लेकिन अभी 2 सालों से तो पानी इतना ज्यादा हो गया कि हर घर से नदी निकलती है रास्तों की हालत ऐसी हो रही है कि घर से निकलने का मन ही नहीं करता है....

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