सुनो!
अगर भीतर उठी है एक पुकार,
तो जगत की हर दीवार, हर बंद द्वार
हो जाता है पार!
सुनो!
जिस क्षण तुमने कहा — “मैं करूँगा!”,
उसी क्षण ब्रह्मांड ने उत्तर दिया —
“तू करेगा — मैं तेरा मार्ग बनूँगा!”
यह कोई जादू नहीं,
यह कोई चमत्कार नहीं,
यह संकल्प की सत्ता है,
यह चेतना की अभिव्यक्ति है!
जब आत्मा पुकारती है,
तो सृष्टि झुक जाती है,
वक्त थम जाता है,
और नियति…
नियति तुम्हारे चरणों में आ जाती है!
मन में जो ठाना है — वो पाना है,
सिर्फ़ देखना नहीं — बन जाना है!
ये ब्रह्मांड तुम्हारी छाया है,
तू जो चाहे — वो माया है!
तू रचयिता है, तू साधक है,
तू जो बोले — वो आध्यात्मिक वचन है,
तू जो सोचे — वही भविष्य का सृजन है!
इसलिए उठो!
अभी! इसी क्षण!
अपने विचारों को मंत्र बनाओ,
अपने शब्दों को अस्त्र बनाओ,
और अपनी भावना को
यज्ञ की अग्नि में हवन कर दो!
क्योंकि जब तुम कहते हो — “मैं कर सकता हूँ”,
तो तुम अकेले नहीं होते।
तुम्हारे साथ खड़ा होता है सम्पूर्ण ब्रह्मांड!
हर तारा, हर ग्रह, हर ऊर्जा —
तुम्हारे इरादे की हाँ में हाँ मिलाती है!
याद रखो!
जो संकल्पित है — वही संपूर्ण है।
जो जाग्रत है — वही समर्थ है।
और जो मन से कहे — “हो जाएगा”,
उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं।
क्योंकि ‘संकल्प’ ही ‘सृष्टि’ है!