मुझे पता है तुम्हें पता है
हर कोई है व्यस्त यहां
अपने पल पल की गतिविधि में
हर कोई है मस्त यहां
यहां भारती भी भर्ती हैं
भावना भले सुसुप्त हुई
भरी हुई हैं विशिष्ट शक्तियां
अधिकांश रहतीं गुप्त हुई
अच्छा लगता है फिर भी
अपनापन अपना जिंदा है
सबकी नजरों में ही दिखता
उड़ता रहता परिंदा है
कोयल की प्यारी बोली
या रंजीत की रणधारा है
किताना प्यारा लगे वहां
हर किसी ने पांव पसारा है
उठते गिरते चलते फिरते
संदीप साथ में दीप्त ही है
आपके स्नेह से सिंचित हो
मन भी सदा प्रदीप्त ही है
सफल सभी का सत्य बने
दर्शन व मिलन होता जाए
नारायण की कृपा मिले
आनंद सदा झरता जाए
- संदीप सिंह कुंवर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




