कविता : सोचो जरा....
तुम खुबसूरत
मस्त हो
क्या बताऊं बड़ी
जबरदस्त हो
इस लिए तुम मेरे
पास आओ नहीं
कभी मुझ को
नजर लगाओ नहीं
अगर तुम
पास आती रही
मुझ को नजर
लगाती रही
इसी का कुछ फायदा
उठा लिया तो
तुम्हारे साथ मैंने
छेड़छाड़ किया तो
उस बखत
क्या होगा तुम्हारा ?
इस बात को
सोचो तो जरा
इस बात को
सोचो तो जरा.......