साहित्य का थोड़ा ज्ञान मुझे
गीता का भी ध्यान मुझे,
वेदों का है अभियान मुझे,
चलो सुनाता हूं साहित्य का फरमान
ऐ भगवान करता हूं चरणों में प्रणाम,
हु में मनुष्य आम ।
गीता के रहस्य को खोलुगा,
क्यों मुख से कुछ ना बोलुगा
फण शेष नाग सा डोलेगा,
कवि ऊंची आवाज में आज बोलेगा ,
शब्दों को वाणी में पोलुगा
क्यों साहित्य लेखन भारत में हुआ ,
पर अब फैल गया उसे पर धुआं,
इस धुवे को हमें हटाना है
साहित्य सृजन कर जाना है,
ऋग्वेद कह लो , यजुर्वेद कह लो वेद आए थे चार ,
ऐसे ही विश्व में नहीं हुआ इस भारत का प्रचार
जिस काल में लोग रहते थे झोपड़िया में
उस काल में भारत में लोग रहते थे महलों में और करते थे व्यवहार,,
चारों कालों में, भारत ने साहित्य रस सझोया है,
जब-जब विपदा पड़ी कवि पर, कवि कविता लिख कर रोया है
----अशोक सुथार