कवि लिखता है
एक कवि अपने मन के भावों को
अक्षरों की माला से कागज़ पर
सुंदर चित्र है बनाता एक कवि
यही तो लिखता है
स्वयं को अनेक रुपों में व्यक्त
करते हुए रचनाएं कर जाता है
कहीं प्रेम का होता वह स्वरुप
कहीं गाता स्वाभिमान की गाथा
कहीं मां की ममता और वात्सल्य
का स्वरुप है सजाता
कभी देश भक्ति की देता दुहाई
रणभेरी का नाद कर रणबांकुरों
को समर भूमि में पुकारता
कभी अस्मिता और गौरव की
गाथा गा समाज को आईना दिखाता
कहीं खुशी और प्रसन्नता का
पर्याय बन जाता है
कहीं दुःख का सागर और कहीं
है रुदन यह भी दिखलाता
बस एक कवि यही तो लिखता है
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/arpita-pandey-kavi-likhta-hai-2024-06-13
अर्पिता पांडेय