बरसता पानी
कभी रह रह के कभी जमके बरसता पानी,
कभी मन से कभी बेमन से बरसता पानी।
कभी सावन कभी भादों से रूठता है कभी,
नशे में झूम के गिरता है बरसता पानी।
झील में सोता है सागर में करवटें लेता,
नदी में लहरा के चलता है बरसता पानी।
पहले जी भर के बरसता था ये चौमासों में,
झर लगा देता था दिन-रात बरसता पानी।
जाने कैसे ये अपनी बूंदें पिरो देता है,
उनकी जुल्फों से टपकता है बरसता पानी।
मिलन की रात में रिमझिम के गीत गाता है,
दिलों में आग लगाता है बरसता पानी।
कभी सुख में कभी दुख में कभी विदाई में,
पलकों की काली घटाओं से बरसता पानी।
---गीतकार---
अनिल भारद्वाज एडवोकेट,उच्च न्यायालय
ग्वालियर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




