तमन्ना तुझे देखने की थी पर तू कभी दिखा नहीं,
फिर भी मुझे कोई गिला नहीं।
तू ना दिखा वो अलग बात है,
पर आज तक मेरी छत पर तो चांद भी कभी
दिखा नहीं।
तमन्ना तेरी थी पर तू मिला नहीं,
फिर भी मुझे कोई गिला नहीं।
तू ना मिला वो अलग बात है,
पर मेरे गुलशन में तो कभी कोई गुल भी
खिला नहीं।
तमन्ना तेरी आवाज़ सुनने की थी पर तूने कभी
कुछ कहा नहीं,
फिर भी मुझे कोई गिला नहीं।
तूने कुछ नहीं कहा वो अलग बात है,
पर आज तक मेरी रूह ने भी मुझसे कुछ कहा नहीं।
तमन्ना तेरा घर सजाने की थी पर तूने मुझे कभी
अपने घर आने दिया नहीं,
फिर भी कोई गिला नहीं।
तूने ना आने दिया मुझे वो अलग बात है,
पर मेरे घर में भी मेरे अपनों ने मुझे आने दिया नहीं।
- - - रीना कुमारी प्रजापत