कुदरत की है देन प्रकृति वृक्षों से है ये संवरती
हरा भरा रखते जो इसको सोना बनती धरती
वायु पृथ्वी नभ जल अग्नि पंच तत्व है इसके
नदियाँ झील सरोवर झरने बहते कल कल करते l
सूरज देता प्रकाश हमको देता चाँद उजाला
पहाड़ चूमता है अम्बर को और तारा चमके निराला
प्रकृति है उपहार ईश्वर का है बहती मंद हवाएं
वृक्ष लताएँ लह लहाके संगीत मधुर सुनाए l
वन में उगे पेड़ पौधों में पक्षी घर बनाए
उनकी चहक से वातावरण में और मिठास घुल जाए
पेड़ उगाये वन को बचाये ऐसी ज्योत जगाए
सीख प्रकृति की है ऐसी संयम शांति पाए l
प्रकृति ही मन है प्रकृति ही तन है प्रकृति ही जीवन है
जो जुड़ा रहता सदा इससे वो रहता सदा प्रसन्न हैं
प्रकृति ही सुर है प्रकृति ही लय है जो लगा है
इसे बचाने में उसकी विजय ही विजय है l
डॉ नितिन तिवाड़ी
बीकानेर, राजस्थान

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




