अपने दुर्भाग्य का रोना रोने वाले
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
कुढ़ने वाले, ईर्ष्यालु, डाह करने वाले मन ही मन नाराज रहने वाले,
अपने दुर्भाग्य और दुःख का रोना रोने वाले,
दूसरों पर दोषारोपण करने वाले, संकुचित मनोवृत्ति के लोग,
अपने इस संकीर्ण और दूषित मनोभावों के कारण खून को जलाते रहते हैं।
उनका खाया-पिया अंग नहीं लगता,
क्योंकि उनके मन में हमेशा नकारात्मक विचार रहते हैं।
वे अपने जीवन में कभी भी संतुष्ट नहीं होते,
और हमेशा दूसरों की सफलता से ईर्ष्या करते हैं।
उनकी संकीर्ण और दूषित मनोवृत्ति उन्हें कभी भी शांति नहीं देती,
और वे हमेशा अपने दुर्भाग्य और दुःख का रोना रोते रहते हैं।
वे अपने जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाते,
क्योंकि उनकी नकारात्मक सोच उन्हें पीछे धकेलती है।
इसलिए, हमें अपने मन को सकारात्मक और प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए,
और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयास करना चाहिए,
और दूसरों की सफलता से सीखना चाहिए।