रूठ कर जिंदगी से लोग मयखाने चले जाते है
न जा सके कहीं तो आग़ोश ए मौत में चले जाते है
आते है कुछ लोग जिंदगी की उलझनें ले कर
पास मेरे, उलझा कर जिंदगी और चले जाते है
बिना पत्तों का दरख़्त हूँ मैं, छावं से महरूम हूँ
कौन भेजता है जो लोग मेरे साय में चले आते है
कौन सुनेगा मेरी, कह कर किसे परेशान करूं
बदकिस्मत दर ए ख़ुदा से खाली हाथ चले आते है
पैसे से चलती है ये दुनिया, क्या आदमी, क्या खुदा
खाली हाथ हर दर से खाली हाथ लौट आते है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




