क्या करूँ ?
भाव माँ का ज़्यादा है मुझमें
क्योंकि औदा माँ का पाया है रब से
दोस्त बनने से पहले बच्चों का
माँ का फर्ज़ निभाना है
औदा मिला है जो रब से
उसे ज़िम्मेदारी से निभाना है
कला संस्कृति और विज्ञान की रोशनी से
चरित्र के उनके चमकाना है
पैसे से धनवान बने या न बने
दिल से धनवान बनाना है
राह जैसी भी आए जीवन में
कामयाब उन्हें बनना सिखाना है ..
वन्दना सूद