आकर गाँव से जब मैने देखा शहर का मंजर
हर कोई जैसे खुद को ही मार रहा था खंजर ।
पानी के मटके छोड़कर टैंक यँहा आ रहे
मार्डन-मार्डन कहकर लोग बीमारियो को है बढ़ा रहे।
हर घर मे लगा है ए.सी वृक्ष यँहा कोई नही
फिर भी ये हवा गाँव जैसी शीतल पता नही क्यो नही।
पिज्जा बर्गर लोग यँहा के है खाते
गाँव की चूल्हे की रोटी जैसे फिर भी ये मुझको ना भाते
-राशिका