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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

प्यारा गाँव

आकर गाँव से जब मैने देखा शहर का मंजर
हर कोई जैसे खुद को ही मार रहा था खंजर ।
पानी के मटके छोड़कर टैंक यँहा आ रहे
मार्डन-मार्डन कहकर लोग बीमारियो को है बढ़ा रहे।
हर घर मे लगा है ए.सी वृक्ष यँहा कोई नही
फिर भी ये हवा गाँव जैसी शीतल पता नही क्यो नही।
पिज्जा बर्गर लोग यँहा के है खाते
गाँव की चूल्हे की रोटी जैसे फिर भी ये मुझको ना भाते
-राशिका




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

पिज्जा बर्गर लोग यँहा के है खाते गाँव की चूल्हे की रोटी जैसे फिर भी ये मुझको ना भाते , Sach Kaha Rashika ji,,,,,मन करता है गांव लौट चलें,

Rashika said

Ji ashok ji गाँव का माहौल मनभावन होता है।

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार रासिका जी की आप की ये रचना वास्तव में ही दिल को छू गई आप को बहुत बहुत धन्यवाद।

Rashika said

नेत्र प्रसाद गौतम जी नमस्कार, 'प्यारा गाँव' इस रचना को इतना महत्व देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

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