यूं तो शहर में वीरानियां बहुत है।
खामोश इंसानों की परछाईयां बहुत है।।
हंसकर जी लेते हम भी जिंदगी।
पर इस जिंदगी में परेशानियां बहुत है।।
करने को कर लेते हैं दिल्लगी।
पर इस आशिकी में दुश्वारियां बहुत है।।
कैसे खुश रखते हम सबको ही।
रिश्तों को निभाने में बर्बादिया बहुत है।।
बड़ा ही सुकून है कब्रिस्तान में।
मौत के सन्नाटे है खामोशियां बहुत है।।
सबको खुश रखते तो मिट जाते।
अच्छा बनने में यहां बुराईयां बहुत है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




