हास्य -व्यंग्य
सज़ा-ए-झूठ
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
झूठे और गद्दारों की सज़ा क्या है,
आखिर इस मर्ज की दवा क्या है?
अदालत में जाओ तो वकील कहता है,
“साबित करो, झूठ पर जुर्माना नहीं लगता है।”
इनकी सज़ा तो बड़ी अनोखी हो,
हर झूठ पर, इनके चेहरे पर एक निशान हो।
ताकि कोई इन्हें देखे तो जान जाए,
ये वो हैं, जो सिर्फ़ झूठ ही खाएँ।
इनके फोन पर एक ऐप हो,
जो हर झूठ पर एक बीप बजाए।
ताकि सब जानें, कौन है सच्चा,
और कौन सिर्फ़ बकवास करता जाए।
इनके लिए एक अलग सी दुनिया हो,
जहाँ सिर्फ़ झूठे वादे और झूठे लोग हों।
ताकि इन्हें पता चले,
जब कोई इनकी तरह हो।
इनकी सज़ा ये हो,
कि कोई इन पर विश्वास ना करे,
जब ये सच बोलें, तो भी कोई ना सुने।
यही तो है इनके लिए सबसे बड़ी सजा,
क्योंकि झूठ की बुनियाद पर ही,
बनी है इनकी हर एक रज़ा।